साकेत – गीत ज्ञान का केन्द्र, कला का धाम, जहाँ कण-कण में बसते राम, भारती-मन्दिर ललित ललाम, प्रकृति ने जिसे सँवारा है। यही साकेत हमारा है। अयोध्या सरयू-तट अभिराम, माधुरीयुक्त अवध की शाम, कल्पाना ‘राघवदास’ ‘नरेंद्र’, धरा पर स्वर्ग-सितारा है। यही साकेत हमारा है। पुण्य का पाठ, स्नेह-सम्बन्ध, कर्म के कुसुम, धर्म की गंध, आर्य-संस्कृति का उच्चादर्श, … Continue reading
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